Wednesday 2 April 2014

विकसित गुजरात का सही चेहरा


गुजरात विकास मॉडल एक वास्तविकता की जांच" 2013 के आखिरी वाइब्रेंट गुजरात शिखर बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के 'गुजरात भारत को वैश्विक प्रवेश द्वार बन गया है ऐसा उन्होंने कहा था! अकेले 2011 शिखर सम्मेलन में, एक रुपए 20.83 लाख करोड़ का एमओयू समझौतों गुजरात सरकार और भारत से और विदेशों में उद्योगपतियों के बीच हस्ताक्षर किए गए. लेकिन जमीनी हकीकत एक अलग कहानी बताती हें !

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विकास को मापने और नहीं बल्कि, दावे की सच्चाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक वैध पैरामीटर है कि क्या पर बहस को एक तरफ रख दें. नरेन्द्र मोदी के शासन के साथ केवल 4% थी उद्योग नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के एक अध्ययन 2000-2013 के बीच भारत के लिए वास्तविक संचयी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गुजरात का हिस्सा है कि पता चलता है. गुजरात रुपये ही हुई हैं. 9.1 लाख करोड़ रुपये की संचयी राष्ट्रीय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह के बाहर 39,000 करोड़. इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण एफडीआई किटी में गुजरात की हिस्सेदारी पिछले 3 वित्तीय वर्षों में गिरावट पर रहा है: 2011 में 3.4% से 2.9% के लिए 2012 में 2.4% करने के लिए जनवरी 2013 तक. एमओयू (समझौता ज्ञापन - आम इरादा और कार्रवाई की लाइन व्यक्त दो संस्थाओं के बीच एक द्विपक्षीय समझौते पर), जबकि 21 लाख रुपये करोड़ के करीब 2011 शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर किए गए थे, गुजरात राज्य सरकार अपने आप में एक अध्ययन से पता चलता है कि वादा किया था की सिर्फ ऊपर 1% निवेश वास्तव में अब तक में आ गए हैं. मजे की बात है, 2013 संस्करण के लिए वादा किया निवेश के आंकड़े वाइब्रेंट गुजरात पोर्टल पर उपलब्ध नहीं हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री वाइब्रेंट गुजरात शिखर तक विदेशी निवेशकों की एक बड़ी संख्या का दावा भले ही आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध आँकड़ों पर एक नज़र घरेलू निवेशकों की संख्या में विदेशी खिलाड़ियों की तुलना में काफी अधिक है कि पता चलता है.

भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के द्वारा देश के सभी राज्यों में कक्षा पांच में पढ़ने वाले बच्चों का एक सर्वे हुआ था। शिक्षा में गुजरात 79.13 प्रतिशत समेत 12 वे क्रम पे है।  अंग्रेजी पढ़-लिख न सकने वाले बच्चों के साथ गुजरात 28 वे क्रम पे है और लिस्ट में पूरे कोने में है। याने के कक्षा 5 में अंग्रेजी जाननेवाले बच्चों की संख्या की दृष्ट्रि से 87.0  प्रतिशत के साथ पहला क्रम गोवा का आता है और 28 वे क्रम में गुजरात आता है जिसका प्रतिशत 7. 9 है।  बार बार बिहार की निंदा करनेवालों की आँखें खोल देनेवाली बात है कि बिहार भी इस सूची में 16 वे क्रम पे है और वहाँ पांचवी कक्षा में पढ़नेवाले 31.3 प्रतिशत बच्चों को अंग्रेजी अच्छी आती है।  अब आप सोचिये, कहाँ है गुजरात नंबर वन ?

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