फिर से आप-हम मिल रहे है, लेकिन अब हिंदी में बात करेंगे।
हम बात कर रहे हैं जर्मनी के तानाशाह हिटलर की। पिछली बार हमने देखा कि हिटलर ने जेल में किताब लिखवाई, जेल में भी उसकी मुलाक़ात गुंडों से होती रही और अपने हिंसक विचारों के कारण लोगों में हिटलर एक हीरो बनता गया। जर्मनी में युवाओं में और सब लोगों में उसकी कीर्ति फ़ैल गई थी। वह सब लोगों को लुभाने लगा था। उसको मिलने लोग बेचैन हो रहे थे। यह सब ठीक उसी तरह हो रहा था जैसे आज गुजरात के मोदी 'साहेब' की रेली में भीड़ उमड़ पड़ती है ! हिटलर भी कुछ कम लोकप्रिय नहीं था। उसने लोगों के दिलों में ख़ास जगह बनाई थी। यहाँ हम ख़ास कर के हिटलर और नरेंद्र मोदी दोनों के जीवन में नजर करेंगे और देखेंगे कि इनमे क्या क्या समानता है।
सबसे पहली समानता :
फरवरी महीना : एक तरफ रिश्ताग जला, एक तरफ गोधरा ट्रेन :
फरवरी महीना : एक तरफ रिश्ताग जला, एक तरफ गोधरा ट्रेन :
हिटलर के जीवन में फरवरी महिने का बहुत मूल्य है। हमारे भारत में जो स्थान लोकसभा या संसद का है वह स्थान जर्मनी में रिश्ताग (Reichstag) का है। रिश्ताग वहाँ की संसद कही जाती थी। फरवरी 27, 1933 की एक शाम को रिश्ताग को आग लगी (जिसके बारे में जानकारी बाहर आई कि वह हिटलर के ही आदमियों ने लगाई थी।) और उसके बारे में हिटलर के लोगों ने प्रचार किया कि वह आग साम्यवादियों ने लगाई थी ! मोदी के जीवन में भी फरवरी माह बड़ा महत्व रखता है। गुजरात के गोधरा शहर में रेलवे स्टेसन के पास फरवरी 27, 2002 के दिन 'साबरमती एक्सप्रेस' नामक ट्रेन के एस-6 डिब्बे को जलाया गया और उसमे 58 यात्री, कथित रूप से सब हिन्दू, जलाकर मार दिए गए। यह आग कथित रूप से मुस्लिमों ने लगाई, ऐसा प्रचार किया गया। हिटलर अपने विरोधियों के बारे में बहुत ही जूठा प्रचार कर सकता था, मोदी भी वह कर सकते हैं।
हिटलर ने जेल में पुस्तक लिखी; मोदी ने आपातकाल में !
हिटलर ने बावेरिया प्रांत की सरकार को पदभ्रष्ट करने का प्रयास किया और उसमे असफल रहने के कारण उसको जेल जाना पड़ा। एक स्थापित सरकार के खिलाफ बगावत करने के आरोप में उसको 1924 की पूरी साल जेल में ही बितानी पड़ी। लेकिन जेल में उसको उसके जैसा ही एक गुंडा साथी मिल गया - रुडोल्फ हेस। उसके पास हिटलर ने किताब लिखाई। उसमे उसने आदर्श जर्मनी की बात लिखवाई। वह किताब बाद में 'माय काम्फ' (Mein Kampf) (मेरा संघर्ष) नाम से प्रकाशित हुई। इस किताब में उसने अपने विकृत विचार, अपने स्वप्न, लोकतंत्र के खिलाफ जहर, यहूदी और अन्य जनताओं के प्रति द्वेष व्यक्त किया। जर्मनी की जनता ही सर्वोपरि है, संस्कारी है और जर्मन राष्ट्रवादी लोग ही विश्व के स्वामी बनने के लिए पैदा हुए हैं - ऐसे ही विचार उसने किताब में रखे। मोदी ने 1975 में संघर्ष के समय में भूगर्भ पत्रिकाएं लिखीं। उन्होंने राष्ट्रवाद की बात की और अपने आप को सही ठहराया। हिन्दू हित की भी बात में आयी। मोदी ने सबसे पुस्तक लिखी 'संघर्ष माँ गुजरात' (आपात काल में गुजरात) और इस किताब की बहुत प्रशंसा हुई।
हिंदुस्तान में 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित किया। इस समय में नरेंद्र मोदी आर एस एस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के लिए काम कर रहे थे, जिसके ज्यादातर सभी नेता जेल में थे। मोदी और उनके साथियों को भी पुलिस ढूंढ रही थी। नरेंद्र मोदी के नाम का भी वॉरंट निकला हुआ था। मोदी ने एक जगह विद्यार्थियों से बात करते हुए उस आपातकाल के बारे में स्कूली बच्चों को बताया, "मैं सभी लोगों से मिलना चाहता था, लोकतंत्र को वापस लाना चाहता था। जो लोग जेल में थे उनके परिवारों को भी सम्भालना था। इस समय में मेने लिखी किताब - 'संघर्ष में गुजरात' ". मोदी ने बताया कि पूरे 19 महिने तक वे आपातकाल में सिख के पोषक में रहे, ताकि पुलिस उनको पहचान न सके।