Tuesday 22 April 2014

आखिर किसका विकास हुआ है गुजरात में ?



देखिए, आखिर किसका विकास हुआ है गुजरात में ?

इस चुनाव में गुजरात के विकास की चर्चा काफ़ी सुनाई दे रही है। आम चुनाव के अभियान में 'गुजरात मॉडल' एक 'राजनीतिक सिक्का' बन गया है, लेकिन उन्हें नहीं पता कि इसका मतलब क्या है। कितना उल्लेखनीय है ये विकास? गुजरात मॉडल का झूठा प्रचार कर रही है जबकि हकीकत यह है कि गुजरात में विकास का काम आज भी अधूरा पड़ा है। यह कैसा विकास है जहां रोजगार के लिए युवक भटक रहे है। अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के लिए कल्याणकारी कार्य नहीं के बराबर रहे है। एक चीज साफ है, गुजरात परंपरागत रूप से अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य है। गुजराती उद्योगपति और नवप्रवर्तन करने वाले होते हैं, जिन्होंने बरसों तक देश के उद्योग जगत की अगुवाई की है।

गुजरात में स्कूल की इमारतें बनी हैं मगर उनमें 7वीं तक के बच्चे पढ़ना ही नहीं जानते। शिक्षकों को 5300 रुपए वेतन मिलता है। उसमें उनका गुज़ारा कैसे होगा? गुजरात में दलितों या आदिवासियों का कितना विकास हुआ है? नरेंद्र मोदी के विकास का मॉडल पूरे देश पर लागू नहीं हो सकता। विकास हुआ है मगर जिन वर्गों का होना चाहिए था उनका नहीं हुआ है। कई लोग कहते हैं कि गुजरात तो 1980 में ही विकसित था। तो क्या उस विकास को आगे बढ़ाने की ज़रूरत नहीं थी? क्या वोटो की राजनीती में मोदी सब भूल गए है की गुजरात का विकास हुआ है या नहीं?

गाँवों तक सड़क पहुँची है मगर क्या उस पर बस भी चलती है, क्या वो बस गाँवों को शहरों से जोड़ पाई है? आँकड़ों के अनुसार ऐसा नहीं है कि गुजरात में बलात्कार नहीं होते मगर कहीं ऐसा तो नहीं कि ये मामले कम सामने आते हैं इसलिए आँकड़े कम हैं। दलितों या महिलाओं के विकास के मामले में गुजरात हिमाचल प्रदेश से भी पीछे हो गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली या पीडीएस के मामले में छत्तीसगढ़ ने भी उल्लेखनीय प्रगति की है जबकि गुजरात उसमें सबसे पिछड़े राज्यों में खड़ा है। ऐसे में ख़ुद गुजरात का युवा इस मुद्दे पर क्या सोच रखता है? गुजरात के विकास मॉडल की सच्चाई क्या है और सवाल हे कि क्या ये वास्तव में पूरे देश पर लागू हो सकता है?

मोदी प्राय: कहा करते हैं कि गुजरात में जो विकास हुआ है, वह उनके जादू से हुआ है। लेकिन क्या गुजरात के विकास में वहां की महिलाओं या उद्योगपतियों का कोई योगदान नहीं है।? असलियत में देश को जनता चलाती है, जबकि मोदी दावा करते हैं कि वह देश को चलाएंगे और लोगों से अपील करते हैं कि वे उन्हें देश का चौकीदार बना दें और चाबी दे दें। गुजरात में उन्होंने 45 हजार एकड़ जमीन एक रुपए प्रति मीटर की दर से अदाणी को दे दी। वे कहते है की आदिवासी किसानों की जमीन उद्योगपतियों को दो और गुजरात चलाओ। मोदी ऐसा गुजरात चला रहे हैं। क्या यह इनकी तानाशाही नहीं है?


गुजरात में 40 फीसद लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिलता है। गुजरात में हर दो में से एक आदमी भूखा है। वह राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को तो भूल ही गए हैं। गुजरात में लोकायुक्त नहीं है, आरटीआइ कमिश्नर नहीं है क्योंकि जिस दिन से ये लोग काम शुरू  करेंगे उस दिन गुजरात मॉडल का गुब्बारा फूट कर जमीन पर आ जाएगा। अब विकास पर यह सवाल उठता है की अगर गुजरात में विकास नहीं हुआ है तो किसका विकास हुआ है? आख़िर नरेंद्र मोदी लगातार तीन बार चुनकर कैसे आ गए? क्या आप इस बार ऐसे व्यक्ति को वोट देंगे ?

No comments:

Post a Comment