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नाटकीय विकास के बड़े बड़े दावे
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मोदी गुजरात मॉडल को नं-1 बता
रहे है पर हकीकत को कुछ और ही है। नरेंद्र
मोदी ने राज्य के प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री के इस काम के लिए अपने भाषण पर आधारित है, लेकिन सिद्धांत है कि व्यापक रूप से विवादित रहा है। नाटकीय आर्थिक विकास के बड़े बड़े
दावे करते हें गुजरात का विकास वास्तव में मोदी सत्ता पाने के लिए लोगो को भ्रामिक
कर रहे है वास्तव में गुजरात का विकास हुआ ही नहीं हें। नरेंद्र
मोदी अपनी रैलियों में गुजरात के विकास की खूब मिसाल देते हैं। लेकिन हाल के दिनों
में गुजरात के विकास पर कई सवाल उठाए गए हैं। और गुजरात मॉडल के गुब्बारे की जल्द ही हवा निकलने वाली हें पिछले 10
वर्षों में 5,500 से अधिक किसानों को
राज्य में आत्महत्या कर चुके हैं लेकिन पुलिस मामलों रजिस्टर करने के लिए नहीं कहा
गया है आखीर क्यों क्या वजहे इसके पीछे ? गुजरात में 26.19 लाख बीपीएल परिवारों थे अब उनकी संख्या अब बढ़कर 40 लाख हो गई है क्या इसे विकास कहते हें ? नरेन्द्र मोदी गुजरात को देश का विकास मॉडल बनाने चले थे
लेकिन यहतो गुजरात खुद आपातकाल में हें !
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गुजरात का सार्वजनिक
ऋण
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गुजरात के बजट 2013-14 में रुपये 1,20,000 करोड़ रुपये पर 2001 में 28,000
करोड़ रुपये से बढ़कर है, जबकि इसी
अवधि के दौरान सार्वजनिक ऋण रुपए 1,68,000 करोड़ रुपये से 26,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 26.19 लाख बीपीएल परिवारों, उनकी संख्या अब 40 लाख है जनवरी 2014 में एफएम रेडियो पर प्रसारित एक सरकारी विज्ञापन के अनुसार
1999 में गुजरात में हुई थी जबकि सरकारी आंकड़ों, आरटीआई डेटा और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों का कहना हें की
यूएनडीपी के बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2,010 सीएजी 1.5 लाख
करोड़ रुपये की धुन पर 2001-2012/13 शो भ्रष्टाचार से खबर दी है, जबकि राज्य की जनसंख्या का 41.5 %, गरीबी में जीवन को दर्शाता है। देश में झूठ
का एक गुब्बारे का निर्माण किया जा रहा है। और वह गुब्बारा ज्यादा दिन नहीं चलने वाला।
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झूठ का
गुब्बारे का निर्माण
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गुजरात में खाद्यान्न उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष
2011-12
में लगभग 8 लाख
टन की कमी दर्ज की गई। वर्ष 2011-12 के दौरान राज्य में वर्ष 2010-11 में 100.71 लाख टन की तुलना में खाद्यान्न की अनुमानित 92.57 लाख टन का उत्पादन किया हें और गुजरात सरकार ने शुरू से ही दिखावे करना शुरू कर दिया था| इसके बा-वजूद कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करोड़ों रूपये
खर्च करके कृषि महोत्सव किये, धूम-धडाके किये, कृषि-रथ चलाये,
किसानों को लुभाया, गुजरात में कृषि विकास के आंकड़े कम हुए| उत्तर प्रदेश 20.38
प्रतिशत, बिहार 20.51, राजस्थान 18.51 और गुजरात 1.30
प्रतिशत कृषि विकासदर देखने
को मिला! सवाल यह है कि यु.पी., बिहार, राजस्थान वगैरह राज्य कुछ प्रचार नहीं करते, कुछ दिखावा नहीं करते फिर भी उनके आंकड़े बड़े हैं, और गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी जनता के इतने रुपयों का खर्च
करके भी उस आंकड़ों को नहीं पा सकते,
तो गुजरात सरकार को यह
खर्चा करने का क्या अधिकार है? नरेन्द्र मोदी गुजरात को छोड़कर देश की कृषि नीतिया बनाने
चले यह गुजरात मॉडल दहशत का मॉडल है।
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