Monday, 28 April 2014

कितना रियल, कितना फेक ...

कितना रियल, कितना फेक

लोकसभा चुनाव 2014 में गुजरात मॉडल और विकास को अपनी सबसे बड़ी ताकत के रूप में लेकर मैदान में उतरे है वो गुजरात मॉडल एक फेक है और गुजरात में ऐसा कुछ भी नहीं है। गुजरात मॉडल एक टॉफी मॉडल बन गया है और विकास भी हुआ है, लेकिन सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों का,किसी किसान या मिडिल क्लास आदमी का नहीं। देखिए, कितना फेक और कितना रियल है मोदी का ये गुजरात मॉडल।


मोदी विकास की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि मोदी के शासन में गुजरात विकास की राह में बहुत पीछे चला गया है। गुजरात कीमोदी सरकार से केवल छह लोगों को फायदा हुआ है, यही लोग मोदी को और भाजपा को चुनाव लड़ने के लिए हजारों करोड़ रुपये दिए हैं और मीडिया तथा अन्य चीजों का बंदोबस्त किया है। इन्हीं लोगों ने मोदी को चुनाव लड़ने के लिए हजारों करोड़ रुपये देने के साथ ही अन्य सुविधाएं भी दी हैं। मीडिया ने देश में मोदी की जो हवा बनाई थी, वह धीरे-धीरे खत्म हो रही है। मोदी को भी यह बात अब समझ में आ गई है कि भाजपा को बहुमतनहीं मिलने जा रहा है। इसीलिए वह हताशा और निराशा में डूबते जा रहे हैं।

नरेंद्र मोदी ने 10 साल पहले गुजरात में मेट्रो रेल चलाने की बात कही थी, लेकिन आज तक मेट्रो रेल शुरू नहीं हो सकी। गुजरात में डीजल, पेट्रोल,रसोई गैस सबसे ज्यादा महंगी है। गुजरात में रासायनिक खादें सबसे ज्यादा महंगी हैं। गुजरात में 50 फीसदी महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं।  गुजरात में 89 फीसदी महिलाएं और 90 फीसदी पुरुष असंगठित क्षेत्र में मजदूरी कर रहे हैं। गुजरात के 17 जिलों में पानी की समस्या है। मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी सरदार सरोवर परियोजना का बहुत बुरा हाल है। गुजरात की नदिया देश में सबसे ज्यादा गंदी हैं। गुजरात में मोदी के शासन में सात लाख किसानों ने खुकुशी की है। ये नरेंद्र मोदी के गुजरात का स्याह सच है। गुजरात मॉडल महज धोखा है।


यहां के किसानों की हालत बहुत खराब हैं और आम जनता भी परेशान हैं।  मोदी ने जो विकास का मॉडल देश भर में पेश किया है, वह बिलकुल झूठ है। गुजरात के मुख्यमंत्री ने राज्य में गरीबों के लिए 50,000 मकान बनाने का वादा किया था, लेकिन पिछले 11 साल में 50 मकान भी नहीं बनाए गए हैं। 'भाजपा गुजरात के विकास मॉडल का जोर-शोर से प्रचार कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है।' वो मॉडल एक ऐसे उद्योगपति को बेहद मामूली कीमत पर जमीन दे देना है जिसने उसे बेचकर भारी मुनाफा कमाया। उन्होंने उद्योगपति अदानी को एक रुपए प्रति मीटर की कीमत पर 35,000 एकड़ कृषि भूमि देने के लिए गरीब किसानों को उनकी जमीन से वंचित कर दिया और इसके बाद अदानी ने उस जमीन को 800 रुपए प्रति मीटर की दर से बेचा। उनका उद्योग उत्पादन के कारण नहीं अपितु किसानों की जमीन ऊंची कीमतों पर बेचने के कारण 3000 रुपए करोड़ की कंपनी से बढ़कर 40,000 करोड़ रुपए हो गया इसे वह गुजरात मॉडल कहते हैं।



गुजरात के विकास का मोदी माड़ल धोखा है। मोदी गुजरात के विकास माडल को लेकर देश को बरगला रहे है। वास्तव में गुजरात में पढ़ाई, इलाज,खेती किसानी तथा पीने के पानी का बेहतर प्रबंध नहीं है। गुजरात में 719 से अधिक लोगों ने भुखमरी के कारण अत्महत्या कर ली। 44 हजार बच्चे आज गायब हैं। मोदी बताएं यह बच्चे कहां हैं? मोदी गुजरात में मेट्रो सेवा शुरू करने का वायदा आज तक पूरा नहीं किया है और गुजरात में आठ घंटे ही लोगों को बिजली मिलती है, 24 घंटे नहीं जैसा मोदी अपनी हर चुनावी सभा में कहते घूम रहे हैं। मोदी अपनी सभा में वादा तो कर देते है पर वो कभी पूरा नहीं होता। क्या आप ऐसे व्यक्ति के हाथ में देश सौपना चाहते हो?


Thursday, 24 April 2014

इन सवालों पर मोदी ने चुप्पी क्यों साधी?

इन सवालों पर मोदी ने चुप्पी क्यों साधी?
नरेंद्र मोदी रोज़ बोलते हैं और सबसे तेज़ बोलते हैं जैसे भीड़ को जगाने वाली आवाज़ हो। लेकिन फिर भी उनकी बात सुनाई नहीं देती- कम से कम उन लोगों को, जिनके पास उनके लिए सवाल हैं। मीडिया उनसे सवाल पूछ रहा है। अरविंद केजरीवाल ने भी उनसे कुछ सवाल पूछे हैं। 2002 के गुजरात दंगों के परिवारों के प्रभावित भी उनसे सवाल पूछ रहे हैं। उनके आलोचकों ने उनसे गहरे सवाल पूछे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि इन सवालों के लेकर उन्होंने ख़ामोशी की दीवार बना ली है। जिस आदमी को भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसके लिए यह अच्छा शगुन नहीं है। सबसे अधिक वांछित पद हासिल करने की दहलीज़ पर खड़े होकर अवर्णनीय चुप्पी ओढ़ लेने का मतलब उन लोगों को और मौक़ा देना है जो उनकी ताक में हैं।
जान बूझकर उपेक्षा
नरेंद्र मोदी की ख़ामोशी का एक स्वरूप है। वह सुशासन पर बोलते हैं। वह सरकार के 'गुजरात मॉडल' पर बोलते हैं। वह ख़ुद 'शहज़ादे' से बहुत से सवाल पूछते हैं। यह काम वह हर रैली में करते हैं, रोज़ करते हैं और दिन में कई बार करते हैं। संभवतः बार-बार दोहराए गए उनके भाषण वापस उछलकर उनकी ओर ही लौट आते हैं और स्वाभाविक रूप से वह उन सवालों को नहीं झेल पाते जो उनकी ओर उछाले गए होते हैं। लेकिन मोदी के आलोचक कहते हैं कि वह उन सवालों को टाल देते हैं जो उनके लिए मुश्किल हो सकते हैं। उनका कहना है कि वह उन्हें ठीक-ठीक सुनते हैं लेकिन ऐसा जताते हैं कि उन्होंने ईयर प्लग पहने हुए हैं। 'जासूसी कांड' और 'गुजरात दंगों' पर उनकी स्थाई ख़ामोशी को रणनीतिक ताक़त के बजाय कमज़ोरी के चिन्ह के रूप में देखा जा रहा है।  कुछ सवालों ऐसे हैं जिनके जवाब लोग मोदी से चाहते हैं।
गुजरात दंगे
साल 2002 के हिंदू-मुस्लिम दंगों के दौरान वह राज्य के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री दोनों थे। मुस्लिम समुदाय के मन में यह पक्की भावना है कि जब हिंदू दंगाई उन्हें निशाना बना रहे थे तो नरेंद्र मोदी ने आंखें फेर ली थीं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी को दंगों के दौरान उनके कर्तव्य में कोताही बरतने का कोई सुबूत नहीं मिला। इसे लेकर उनकी प्रतिक्रिया ख़ामोशी बरतने से लेकर झुंझलाकर इंटरव्यू ख़त्म कर देने तक जाती है। अदालत के आदेश के बावजूद भी यह सवाल उनका पीछा नहीं छोड़ता।
गैस की क़ीमत
दो महीने पहले नरेंद्र मोदी को 'फ़ेसबुक टॉक्स लाइव' नाम के एक कार्यक्रम में शामिल होना था। इसमें अरविंद केजरीवाल, लालू यादव और कई अन्य नेता पहले ही शामिल हो चुके हैं। अंतिम समय में इसे आश्चर्यजनक ढंग से वापस ले लिया गया जबकि मोदी कैंप के लोग इसे लेकर उत्सुक थे। लेकिन उन्हें पता चला कि फ़ेसबुक यूज़र्स उनसे कई परेशान करने वाले सवाल पूछ सकते हैं जिनमें गैस क़ीमतों का विवादित मुद्दा भी शामिल है। गैस क़ीमतों की वृद्धि से मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को भारी फ़ायदा होगा। उनका और उनके समर्थकों का मानना है कि क्योंकि अंबानी मोदी के क़रीबी हैं इसलिए वह अंबानी के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं कह सकते।
चुनाव ख़र्च
जबसे मोदी को बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया गया है तबसे वह देश भर में उड़ान भर रहे हैं। और हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं। उन्हों ने इस भरी खर्च पे भी कोई जवाब नहीं दिया है।
जासूसी कांड
पिछले साल नवंबर में दो न्यूज़ वेबसाइटों ने आरोप लगाया था कि मोदी के सबसे विश्वसनीय सहयोगी अमित शाह ने सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर 2009 में अपने 'साहब' के कहने पर एक युवती की अनधिकृत निगरानी का आदेश दिया था। बीजेपी ने माना है कि निगरानी की गई थी लेकिन कहा है कि यह युवती के पिता के कहने पर की गई थी। हालांकि वह युवती इससे पूरी तरह अनभिज्ञ थी। मोदी से इस बारे में सफ़ाई मांगी गई है लेकिन न तो उन्होंने इस बारे में एक भी शब्द कहा है और न ही यह बताया है कि इस ग़ैरक़ानूनी निगरानी का आदेश क्यों दिया गया था।
वैवाहिक स्थिति
कुछ हफ़्ते पहले अपना नामांकन भरते वक़्त जब मोदी ने चुपचाप यह ज़ाहिर किया कि वह शादीशुदा हैं तो काफ़ी सनसनी फैल गई थी। इससे पहले हर बार नामांकन भरते वक़्त उन्होंने वैवाहिक स्थिति वाला खाना खाली छोड़ दिया था और इस बात की ओर सबका ध्यान गया। क्या वह सचमुच में शादीशुदा हैं? क्या वह अपनी पत्नी से विरक्त हैं?

 डॉक्टर माया कोडनानी
माया कोडनानी को 2002 के दंगों में उनकी भूमिका के लिए 28 साल जेल की सज़ा दी गई है। उस वक़्त वह मोदी सरकार में एक महत्वपूर्ण मंत्री थीं। 2009 में गिरफ़्तारी के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था। उन पर दंगों में शामिल होने का आरोप लगने के बावजूद मोदी ने उन्हें अपनी सरकार में शामिल किया था. इस बारे में उनसे लगातार सवाल पूछे गए अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
मोदी इस मुद्दे पर अभी तक ख़ामोश हैं। इसके अलावा भी और बहुत से सवाल हैं जो लोग मोदी से पूछते हैं और वह जवाब नहीं देते। कई बार ख़ामोशी बेशक़ीमती होती है। लेकिन कई बार ख़ामोशी को अपराध की स्वीकारोक्ति के रूप में भी लिया जा सकता है। क्या आपको ऐसी व्यक्ति के हाथ में देश सौपना हैं?

Tuesday, 22 April 2014

आखिर किसका विकास हुआ है गुजरात में ?



देखिए, आखिर किसका विकास हुआ है गुजरात में ?

इस चुनाव में गुजरात के विकास की चर्चा काफ़ी सुनाई दे रही है। आम चुनाव के अभियान में 'गुजरात मॉडल' एक 'राजनीतिक सिक्का' बन गया है, लेकिन उन्हें नहीं पता कि इसका मतलब क्या है। कितना उल्लेखनीय है ये विकास? गुजरात मॉडल का झूठा प्रचार कर रही है जबकि हकीकत यह है कि गुजरात में विकास का काम आज भी अधूरा पड़ा है। यह कैसा विकास है जहां रोजगार के लिए युवक भटक रहे है। अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के लिए कल्याणकारी कार्य नहीं के बराबर रहे है। एक चीज साफ है, गुजरात परंपरागत रूप से अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य है। गुजराती उद्योगपति और नवप्रवर्तन करने वाले होते हैं, जिन्होंने बरसों तक देश के उद्योग जगत की अगुवाई की है।

गुजरात में स्कूल की इमारतें बनी हैं मगर उनमें 7वीं तक के बच्चे पढ़ना ही नहीं जानते। शिक्षकों को 5300 रुपए वेतन मिलता है। उसमें उनका गुज़ारा कैसे होगा? गुजरात में दलितों या आदिवासियों का कितना विकास हुआ है? नरेंद्र मोदी के विकास का मॉडल पूरे देश पर लागू नहीं हो सकता। विकास हुआ है मगर जिन वर्गों का होना चाहिए था उनका नहीं हुआ है। कई लोग कहते हैं कि गुजरात तो 1980 में ही विकसित था। तो क्या उस विकास को आगे बढ़ाने की ज़रूरत नहीं थी? क्या वोटो की राजनीती में मोदी सब भूल गए है की गुजरात का विकास हुआ है या नहीं?

गाँवों तक सड़क पहुँची है मगर क्या उस पर बस भी चलती है, क्या वो बस गाँवों को शहरों से जोड़ पाई है? आँकड़ों के अनुसार ऐसा नहीं है कि गुजरात में बलात्कार नहीं होते मगर कहीं ऐसा तो नहीं कि ये मामले कम सामने आते हैं इसलिए आँकड़े कम हैं। दलितों या महिलाओं के विकास के मामले में गुजरात हिमाचल प्रदेश से भी पीछे हो गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली या पीडीएस के मामले में छत्तीसगढ़ ने भी उल्लेखनीय प्रगति की है जबकि गुजरात उसमें सबसे पिछड़े राज्यों में खड़ा है। ऐसे में ख़ुद गुजरात का युवा इस मुद्दे पर क्या सोच रखता है? गुजरात के विकास मॉडल की सच्चाई क्या है और सवाल हे कि क्या ये वास्तव में पूरे देश पर लागू हो सकता है?

मोदी प्राय: कहा करते हैं कि गुजरात में जो विकास हुआ है, वह उनके जादू से हुआ है। लेकिन क्या गुजरात के विकास में वहां की महिलाओं या उद्योगपतियों का कोई योगदान नहीं है।? असलियत में देश को जनता चलाती है, जबकि मोदी दावा करते हैं कि वह देश को चलाएंगे और लोगों से अपील करते हैं कि वे उन्हें देश का चौकीदार बना दें और चाबी दे दें। गुजरात में उन्होंने 45 हजार एकड़ जमीन एक रुपए प्रति मीटर की दर से अदाणी को दे दी। वे कहते है की आदिवासी किसानों की जमीन उद्योगपतियों को दो और गुजरात चलाओ। मोदी ऐसा गुजरात चला रहे हैं। क्या यह इनकी तानाशाही नहीं है?


गुजरात में 40 फीसद लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिलता है। गुजरात में हर दो में से एक आदमी भूखा है। वह राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को तो भूल ही गए हैं। गुजरात में लोकायुक्त नहीं है, आरटीआइ कमिश्नर नहीं है क्योंकि जिस दिन से ये लोग काम शुरू  करेंगे उस दिन गुजरात मॉडल का गुब्बारा फूट कर जमीन पर आ जाएगा। अब विकास पर यह सवाल उठता है की अगर गुजरात में विकास नहीं हुआ है तो किसका विकास हुआ है? आख़िर नरेंद्र मोदी लगातार तीन बार चुनकर कैसे आ गए? क्या आप इस बार ऐसे व्यक्ति को वोट देंगे ?

Friday, 18 April 2014

गुजरात में बलात्कार, अपहरण में कई गुना वृद्धि !

गुजरात में बलात्कार, अपहरण में कई गुना वृद्धि !

गुजरात के लोगों की यह तस्वीर मोदी जी के कथनों की निर्मिति है, वास्तविक नहीं। गुजरात की भाजपा के मॉडल राज्य में दावा किया गया है की गुजराती महिलाओं के अपहरण की घटनाओं की संख्या डबल गुना बढ़ गया हैऔर दलित महिलाओं पर बलात्कार की संख्या पिछले दो दशकों में 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है एक बयान में, गैर सरकारी संगठन, सरकारी आंकड़ों के हवाले से, 313 2000 के दशक के दौरान बलात्कार किया गया जबकि गुजरात के पुलिस महानिदेशक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 192 दलित महिलाओं, 1990-2000 के दशक के दौरान बलात्कार किया गया, इस प्रकार, 2000 और 2010 के बीच एक दशक से बलात्कार में 63 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है 

एक दलित महिला गुजरात राज्य में उसे 'सम्मान' खोने के लिए केवल रुपये 25,694 मुआवजा दिया गया था ये गुजरात के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा दिए गए मुआवजे की वास्तविक आंकड़े हैं दलित महिलाओं पर समग्र हिंसा के लिए के रूप में, गैर सरकारी संगठन महिला पूरे देश में एक 'मॉडल' के रूप में पेश एक राज्य में सुरक्षित नहीं हैं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो से वर्ष 2000 और 2012 के आंकड़ों की तुलना बलात्कार की संख्या 2012 में 2000-473 में 330 से बढ़ गई है महिलाओं के अपहरण के मामलों में वर्ष 2012 में 2000-1527 साल में 868 से बढ़ गई है गुजरात में  घरेलू हिंसा की घटनाओं के रूप में, वर्ष 2012 में 6658 के लिए वर्ष 2000 में 3339 से वृद्धि हुई है 

महिला की सुरक्षा निश्चित रूप से राज्य सरकार का दायित्व हैयह सब हो रहा है, गैर सरकारी संगठन के अनुसार, जिसका सरकार की तथाकथित सुरक्षा के लिए पूरे आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस ) की टीम आयोग कर सकते हैं जब सामान्य महिलाओं की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता नहीं दे सकते इसके अलावा गुजरात में मानव तस्करी के राज्य दस्तावेज़ 2006 के दौरान 2011 के लिए 47,052 व्यक्तियों की कुल गायब हो गए थे कि कहते हैं. इन 13,283 से बाहर अब भी लापता हैंऔर उन के बीच 5786 बुजुर्ग महिलाओं के थे और 2,293 अवयस्क लड़कियों के थे हाही हें गुजरात मॉडल की हकीकत !

एक रिपोर्ट के अनुसार लापता महिलाओं की दर 2006-2011 की अवधि के दौरान बढ़ गया था और इसी अवधि के दौरान मामलों की संख्या अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के तहत पंजीकृत 1956 कमी हुई थीगुजरात पुलिस की निष्क्रियता से पता चलता हैउनका कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए तो गुजरात महिलाओं के लिए वास्तव में सुरक्षित नहीं हें। गुजरात के विकास की भीतर की असलियत? या ही हें क्या देश को ऐसे मॉडल की जरुरत हें।