Friday 21 February 2014

हांक रही गुजरात सरकार बड़ाई, कहीं दूर है उससे सच्चाई

गुजरात सरकार नंबर वन है !
जी हाँ, वह अपनी बड़ाई करने में, अपनी वाहवाही कराने में नंबर वन है।  वह अवार्ड लेने में नंबर वन है।  वह बातें करने में नंबर वन है, लेकिन हकीकत कुछ अलग ही देखने को मिल रही है। मैं आपको यहाँ एक के बाद एक ऐसे सत्य दिखाऊंगा कि आप वह देखने के बाद सोच में पड़ जाएँगे कि गुजरात में कितना काम हुआ और कितना दिखाया गया !

गुजरात का जानामाना दैनिक अखबार ‘सन्देश’ अपने फरवरी 20, 2014 के संस्करण में पांचवे पन्ने  पे लिखता है : (गुजरात में) विद्यार्थी अंग्रेजी पढ़ने में सब से पीछे, इ-लर्निंग में अनपढ़ ! सरकारी विद्यालयों में कम्पुटर हैं, शिक्षक नहीं ! यह है गुजरात का सत्य ! केंद्र सरकार की करोड़ों की ग्रांट कहाँ जाती है ? बात यहाँ पे ख़तम नहीं होती।  रिपोर्ट बताती है कि इ-गवर्नेंस के अवार्ड और प्रशस्ति पत्रों को पानेवाले गुजरात राज्य ने भारत सरकार कि करोड़ों की ग्रांट से राज्य के 20,502 विद्यालयों में कंप्यूटर लैब बनाई हैं।  करोड़ों के टेंडर के जरिये कम्प्यूटर्स खरीद लिए गए। आज वे सब धुल के फूल बन के पड़े रहे हैं ! बच्चे उनको देख के कहते हैं : ऐसे होते हैं कंप्यूटर ! गुजरात की स्कूलों में कंप्यूटर तो ला के रख दिए गए पर राज्य में 15,131 स्कूलों में केवल कंप्यूटर को-ऑर्डिनेटर से काम चलाना पड़ रहा है।  ये है गुजरात की हकीकत। गुजरात 28 वे स्थान पे :

भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के द्वारा देश के सभी राज्यों में कक्षा पांच में पढ़ने वाले बच्चों का एक सर्वे हुआ था। शिक्षा में गुजरात 79.13 प्रतिशत समेत 12 वे क्रम पे है।  अंग्रेजी पढ़-लिख न सकने वाले बच्चों के साथ गुजरात 28 वे क्रम पे है और लिस्ट में पूरे कोने में है। याने के कक्षा 5 में अंग्रेजी जाननेवाले बच्चों की संख्या की दृष्ट्रि से 87.0  प्रतिशत के साथ पहला क्रम गोवा का आता है और 28 वे क्रम में गुजरात आता है जिसका प्रतिशत 7. 9 है।  बार बार बिहार की निंदा करनेवालों की आँखें खोल देनेवाली बात है कि बिहार भी इस सूची में 16 वे क्रम पे है और वहाँ पांचवी कक्षा में पढ़नेवाले 31.3 प्रतिशत बच्चों को अंग्रेजी अच्छी आती है।  अब आप सोचिये, कहाँ है गुजरात नंबर वन ?

वाइब्रेंट गुजरात कि हकीकत :
गुजरात में वाइब्रेंट के बहुत उत्सव होते रहते हैं और जनता के करोड़ों रुपयों को उड़ाया जाता है लेकिन उन सभी खर्च का कोई अच्छा नतीजा नहीं दिख रहा।  गुजरात की आर्थिक राजधानी अहमदाबाद में खुद 46 स्कूलों में कंप्यूटर लैब नहीं है।  इसी तरह आणंद, अमरेली, बनासकांठा, भावनगर समेत कई जिलों में कंप्यूटर लैब नहीं है।  सूरत में तो 1040 स्कुल ऐसी हैं जहाँ कंप्यूटर लैब नहीं है।  फिर भी ‘साहेब’ कहते हैं कि गुजरात नंबर वन !

गुजरात सरकार केंद्र की ग्रांट का उपयोग करती नहीं। सर्व शिक्षा अभियान के लिए केंद्र की जो भी ग्रांट मिलती है उसमे से 50 प्रतिशत ग्रांट तो गुजरात सरकार खर्च ही नहीं करती ! गुजरात में पढ़नेवाले कक्षा पांच के 66.9 प्रतिशत बच्चों को 99 तक भी गिनना नहीं आता ! राज्य में 60 लाख छात्रों के लिए व्यायाम शिक्षक नहीं हैं।  अगर गुजरात सरकार ने केंद्र की ग्रांट का सही उपयोग किया होता तो आज गुजरात में सही मायने में विकास हुआ होता लेकिन हकीकत यह है कि विकास के सन्दर्भ में गुजरात का क्रम 12 आता है।  गोवा और केरल की तुलना में गुजरात 12 वे क्रम पे है। और यह ‘राजन समिति’ की रिपोर्ट में सामने आया जिसमे मोदी के विकास का गुब्बारा फुट गया।

भाजपा की सरकारों के द्वारा भी गुजरात के दावे का विरोध : 
गांधीनगर के महात्मा मंदिर में अगस्त 2013 में आयोजित की गई पंचायती राज की नेशनल कोंफेंरन्स में हिस्सा लेने मध्य प्रदेश सरकार कीं अधिक सचिव अरुणा शर्मा ने कहा था कि देश के राज्यों में विकास केंद्र के सहकार से ही हुआ है।  गुजरात में विकास के आंकड़ों की जाल में उलज़ कर साधारण नागरिक बाकी रह गया है, ऐसा  भी उन्होंने कहा था।  वे मध्य प्रदेश में शिवराजसिंह चौहान की भाजपा सरकार की वरिष्ठ अधिकारी हैं।

यह सब इतने सारे सबूत हैं कि गुजरात को नंबर वन कहनेवालों कि मुह बंद हो जायेंगे, लेकिन वे यह स्वीकार करनेवाले नहीं हैं।  उनको तो अपने दावे ही अच्छे और सच्चे लगते हैं ! 
आज इतना ही ।

4 comments:

  1. “ यूपीए सरकार एनडीएकी तुलनामें बेहतर है ....”

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    1. Mujhe gujrat sarkar ke bare main nahi maloom. Lekin UPA jisko maine pichli baar vote diya tha... main use is baar bilkul vote nahi duunga. Kyun doon vote
      Unhe jinho ne 1) Kalaam ke badle Pratibha Patil ko president banaya. Maaf kar sakte ho iske liye UPA ko. Unhone desh ki maryada ka khayal kiye bina ek corrupt paper stamp president banaya.
      2) Rahul Gandhi jo prime minister banne ka sapna dekh raha hai, uska aaj tak parliament main 30% attendance hai. Kya sach main isse accha neta nahi hai humare pass?
      3) Chidambram nein mehengai ke upper bola tha: ki logon ko halla karne ki aadat hai. Wo Bees rupaye mein paani kharid sakte hain per 1kilo pyaz kharidne ke liye haalla karte hain.
      Dhikkar hai aise ahankarion per.

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  2. agar feku fekegha nhi to woh din kese kategha apana .....

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  3. "नरेन्द्र मोदी सिर्फ फेकने में आगे हे विकाश में नहीं मोदी लोगोको विकाश का मुखोटा पहनते हे !"

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